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 भारत की उपजाऊ धरती धनधान्यपूर्ण भूमि होने के बावज़ूद भी भारत का मध्यम किसान हमेशा गरीब ही रहा है और अब भी न जगे तो आने वाली पीढ़ी शायद इसे गरीब ही देखेगी। लाखों-करोड़ो की कृषि भूमि होने के बावजूद भी हमने कई किसानों को पाई-पाई को तरसते देखा है। सीमांत और लघु किसानों को स्वावलम्बी बनाने के लिए उन्हें विशेष प्रशिक्षण देने, नई तकनीक सिखाने और संगठित होने की आवश्यता है। लगभग 80 प्रतिशत क्षेत्र वर्षा-असिंचित है और किसान इंद्र देवता पर निर्भर रहते हैं।किसानों की खुशहाली तथा सामाजिक व आर्थिक उत्थान के लिए सरकारी स्तर पर किसानों व बागवानों की खेतीबाड़ी संबंधी सभी जरूरतों को पूरा करने के लिए कई योजनाएं चलाई है। जैसे बीज, दवाइयां, छोटे उपकरण, बाड़बंदी, टैंक बनवाने, पॉलीहाउस लगवाने, विद्युत बोर्ड लगवाने, सूक्ष्म सिंचाई योजना, ट्रैक्टर व पावर टिलर आदि के लिए विशेष अनुदान दिया जा रहा है। लेकिन इन योजनाओं का लाभ सीमांत और लघु किसान नहीं ले पाते।


उद्देश्य : इस कार्यक्रम के अंर्तगत प्रथम चरण में राज्य की सभी पंचायतों के किसानों को लाभ पहुंचाना है। इसमें सभी कृषि जलवायु क्षेत्रों को जोड़ा जाएगा। कार्यक्रम का उद्देश्य हैं कि प्रकृति के साथ सामंजस्य बनाकर मिश्रित खेती को बढ़ावा देना, खेती की लागत को कम करना और खेती को एक स्थायी व्यवहारिक आजीविका विकल्प बनाना, मिट्टी की उर्वरता, सांध्रता, पानी के रिसाव को बनाए रखना और मिट्टी के सूक्ष्म जीवों और वनस्पति में सुधार करना, पर्यावरण और भू-जल प्रदूषण को कम करना, प्राकृतिक खेती के बारे में कृषि समुदाय और समाज के बीच जागरूकता पैदा करना कृषि की नवीन व अधिक उत्पादन की तकनीकि व कृषि व कृषि से सम्बंधित अन्य विभागों की योजनाओं का किसानों तक विस्तार करना या उनको इसकी जानकारी देना है। सभी सरकारी योजनाओं की जानकारी आपको घर बैठे दी जाएगी और इन योजनाओं को स्थापित करने में आपकी मदद की जाएगी।

किसान क्लब : ये किसनों के लिए सेवा प्रदाता (Service Provider) के रूप में कार्य करेगी। हर ग्राम पंचायत स्तर पर किसान क्लब का गठन किया जाएगा। किसान क्लब को कृषि, बागवानी, पशुपालन से सम्बधित सभी जानकारियां और योजनाएं आपके गांव में उपलब्ध करवाई जाएगी। कृषि, बागवानी, पशुपालन से सम्बधित निःशुल्क प्रशिक्षण एवं जागरूकता शिविर (Training & Awareness Camp) लगाए जाएंगे। फसलों में लगने वाले रोगों और उनकी रोकथाम के लिए विशेषज्ञों को आपके खेतों तक पहुंचाया जाएगा। सभी सरकारी योजनाओं की जानकारी आपको घर बैठे दी जाएगी और इन योजनाओं को स्थापित करने में आपकी मदद की जाएगी। जब नगदी फसल का रेट कम हो तो उसके वैकल्पिक समाधान किए जाएंगे। मनरेगा के तहत भूमि विकास, पशुपालन, कृषि और बागवानी सहित अन्य विकास योजनाओं के तहत कार्यों को जमीनी स्तर पर किया जाएगा।

महिला किसानों के सशक्तिकरण हेतु पहल : महिलाएं देश के लगभग हर राज्य में सक्रिय किसानी से जुड़ीं हैं और कई क्षेत्रों में तो वे ही खेती की मुख्य कर्ताधर्ता हैं। कृषि की स्थिति में बेहतरी लाने के लिए किया जाने वाला कोई भी प्रयास दरअसल महिलाओं के सशक्तिकरण को प्रत्यक्ष तौर पर प्रभावित करता है। सौभाग्य से इसे प्रमाणित करने के लिए देश में दर्जनों मॉडल हैं जहाँ कृषि क्षेत्र से महिलाओं के जुड़ाव ने महिला सशक्तिकरण के नए आयाम खोल दिए हैं। इन मॉडलों में स्वयं सहायता समूह मूलभूत ढाँचे की भूमिका निभा रहे हैं।

प्राकृतिक खेती : कृषि एवं बागवानी में बेहतर पैदावार पाने के लिए मंहगे खरपतवारों और कीटनाशकों के प्रयोग से कृषि लागत में बेतहाशा बढोतरी हो रही है। कृषि लागत बढने के साथ किसानों की आय घटती जा रही है। जिसके चलते लाखों किसान खेती-बाड़ी को छोड़कर शहरों की तरफ रोजगार पाने के लिए रूख कर रहे हैं। कृषि-बागवानी में रसायनों और कीटनाशकों का प्रयोग बढने से मानव स्वास्थ्य के साथ पर्यावरण पर भी विपरीत असर पड़ रहा है। किसानों में खेती-बाड़ी के प्रति रूचि को बढाने और कृषि लागत को कम कर उनकी आर्थिक स्थिति को बढाने के लिए प्राकृतिक खेती ‘जीरो बजट नेचुरल फॅार्मिंग’ तकनीक को अपनाना होगा। किसानों और किसान मित्रों में क्षमता विकास के लिए विकास खण्ड, जिला और राज्य स्तर पर प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाऐ जा रहें है। इसके लिए अनुमोदित दिशानिर्देशों का पालन किया जाएगा। इसके अतिरिक्त किसानों के लिए प्राकृतिक खेती क्षे़त्रों के भ्रमण कार्यक्रम आयोजित किए जाएगें।


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